पितरों का लें आशीष…!
पितरों का लें आशीष सदा हम,
जो काम बहुत ही आते हैं ।
कर्मपथ यदि बाधित हुआ तो,
सपनों में फिर वो आ जाते हैं।
मातु-पिता अनुराग हृदय हो,
फिर स्नेह सुधा वो बरसाते हैं।
रहता घर-घर सुखमय वैभव,
जब मंगलगीत हम सुनाते हैं।
निखरता है तपकर कोई ,
कोई टूटकर है बिखर जाता।
यदि पितरों की हो कृपादृष्टि,
हर मुश्किल हल हो जाते हैं।
मनोभाव में भरकर श्रद्धा असीम ,
हर रीत-रिवाजों में उन्हें बस याद करें।
पाकर अदृश्य शक्तिपूंज चहुंओर,
हम धन्य-धन्य हो जाते हैं।
पितरों का लें आशीष सदा हम,
जो काम बहुत ही आते हैं…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १४/०९/२०२४ ,
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष, एकादशी,शनिवार
विक्रम संवत २०८१
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