पिटने-पिटाने से क्या फायदा”
लड़की कहती है
“पास अपने बिठा लो मुझे साजना
कष्ट होंगे जो जीवन में टल जायेंगे
ये उदासी क्यों चेहरे पे छायी पिया
खुश रहो अब सितारे बदल जायेंगे
तन को छोड़ो मेरे मन में झाँको जरा
एक झंकार है और कुछ भी नहीं
देखो नैनों के दर्पण में मेरे सजन
प्यार ही प्यार है और कुछ भी नहीं
माना जोड़ी है अपनी ये सबसे अलग
विधि का लेखा भला कैसे मिट जायेगा
क्रोध की आग अब तूने भड़काया तो
कह रही हूँ कसम से तू पिट जायेगा”
लड़का कहता है
“पूर्वजन्मों का फल तू मिली प्रियतमा
दूर तुझसे भला कैसे मैं जाऊँगा
मेरे आँसू खुशी के हैं गम के नहीं
अब भला दिल को कब तक मैं तड़पाऊँगा
तन ही तन है तो मन को मैं देखूँ कहाँ
मन में झंकार है या कि ललकार है
क्या तुम्हें मायका याद आता नहीं
जहाँ तुमको मिला कितना आहार है
है अजीबोगरीब अपनी जोड़ी सखी
विधि का लेखा मिटाने से क्या फायदा
हाथ ढाई किलो का न सह पाऊँगा
अब ये पिटने-पिटाने से क्या फायदा”
?