*पिचकारी की धार है, मुख पर लाल गुलाल (कुंडलिया)*
पिचकारी की धार है, मुख पर लाल गुलाल (कुंडलिया)
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पिचकारी की धार है, मुख पर लाल गुलाल
बूढ़ा तन है बीस-सा, मस्ती करती चाल
मस्ती करती चाल, शरारत तन में आई
चलते तिरछे बोल, नेत्र ने लाज गॅंवाई
कहते रवि कविराय, सृष्टि फागुन की मारी
कभी दृश्य-अदृश्य, हाथ सबके पिचकारी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615451