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6 Oct 2016 · 1 min read

पा

चली ससुराल , पा को रूलाया
याद कर , फोन भी मिलाया
छोटी थी , ठनका ठनकी भी
मुसीबत में पा को रोज हँसाया

पा बेटी का चेहरा रोज खिला
पा ने भी उम्र को बढ़ाया रोज
हरी -भरी बगियाँ सी हरी रहो
सुख की नींद सुलाया हर रोज

Language: Hindi
72 Likes · 372 Views
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