पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
क्या नहीं है इस जहां में हो नहीं संभव।
स्नेह से अपने हृदय में झांक कर देखो।
एक नैसर्गिक समय का हो रहा उद्भव।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/१२/२०२३
पास ही हूं मैं तुम्हारे कीजिए अनुभव।
क्या नहीं है इस जहां में हो नहीं संभव।
स्नेह से अपने हृदय में झांक कर देखो।
एक नैसर्गिक समय का हो रहा उद्भव।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/१२/२०२३