पाश्चात्यता की होड़
“पाश्चात्यता की होड़”
छोड़कर अपने रीति रिवाज और धार्मिक परंपराएं,
संस्कृति पर हावी होने लगी हैं पाश्चात्य सभ्यताएं।
बड़े बुजुर्गों के बनाए हुए सारे कायदे और उसूल,
आधुनिकता की दौड़ में युवा पीढ़ी गई हैं भूल।
पाश्चात्यता के अंधानुकरण के कुचक्र में फंसकर,
युवा पीढ़ी भूल गई है रीति रिवाज और संस्कार।
विदेशों में आज हो रही भारतीय संस्कृति की बड़ाई,
देश के युवा कर रहे पश्चिमी देशों की देखा दिखाई।
स्वदेशी सभ्यता और संस्कृति आज युवा रहे हैं छोड़,
पश्चिमी सभ्यता की नकल करने में मची हुई है होड़।
धर्म और संस्कृति ही हमारी सफलता के मूल मंत्र हैं,
रोको पाश्चात्यता की अंधी दौड़ को भले हम स्वतंत्र हैं।
धर्म संस्कृति और सभ्यता से ही दुनिया में है हमारी पहचाने,
युवाओं को चाहिए पाश्चात्यता और भारतीयता में फर्क को जाने।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़