*”पावस ऋतु “*
“पावस ऋतु”
मेघदूत का आगमन,
सुखद लगे संसार।
कोयल कूके डाल पर ,
शीतल पवन फुहार।।
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पावस ऋतु की कामना,
धरती अंबर नीर।
मन मयूर नाचन लगे ,
मिटे जगत की पीर।।
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बरसो मेघा झूम के,
झूमे सकल जहान।
सरिता में लहरें दिखे,
पावस ऋतु का गान।।
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मेघ चमकती दामिनी ,
झूला झूले नार।
सारी सखियां गा रही,
प्रेम गीत मल्हार।
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उमड़ घुमड़ गरजे मेघ,
घनघोर घटा छाए।
आसमान में लालिमा ,
मन हर्षित हो जाए।
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शशिकला व्यास