Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2018 · 1 min read

पावस ऋतु

❆ दोहा सृजन * पावस ऋतु
**************************
पावस आवत है सदा, लेकर सुख का खान।
कजरी झूला सावनी, होने लगते गान।।

ताल तलैया भर रहे, मेढ़क करते शोर।
रिमझिम रिमझिम वृष्टि से, हरियाली चहुओर।।

लू से राहत है मिला, पड़ते नीर फुहार।
लाया मौसम झूम के, खुशियों का संसार।।
……..
✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
405 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
चार यार
चार यार
Bodhisatva kastooriya
यादों की एक नई सहर. . . . .
यादों की एक नई सहर. . . . .
sushil sarna
*** मन बावरा है....! ***
*** मन बावरा है....! ***
VEDANTA PATEL
* भोर समय की *
* भोर समय की *
surenderpal vaidya
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
Sanjay ' शून्य'
तेरा सहारा
तेरा सहारा
Er. Sanjay Shrivastava
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
Rituraj shivem verma
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
पूर्वार्थ
रात के बाद सुबह का इंतजार रहता हैं।
रात के बाद सुबह का इंतजार रहता हैं।
Neeraj Agarwal
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
Dr MusafiR BaithA
हे गर्भवती !
हे गर्भवती !
Akash Yadav
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
Harminder Kaur
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
2935.*पूर्णिका*
2935.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रतिशोध
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
धरती
धरती
manjula chauhan
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
लक्ष्मी सिंह
जिंदगी
जिंदगी
अखिलेश 'अखिल'
"ग़ौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
Shyam Pandey
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सत्य साधना
सत्य साधना
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
दो सहोदर
दो सहोदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*व्यर्थ में केवल नहीं, मशहूर होना चाहिए【गीतिका】*
*व्यर्थ में केवल नहीं, मशहूर होना चाहिए【गीतिका】*
Ravi Prakash
भारत के राम
भारत के राम
करन ''केसरा''
Loading...