पावस ऋतु
❆ दोहा सृजन * पावस ऋतु
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पावस आवत है सदा, लेकर सुख का खान।
कजरी झूला सावनी, होने लगते गान।।
ताल तलैया भर रहे, मेढ़क करते शोर।
रिमझिम रिमझिम वृष्टि से, हरियाली चहुओर।।
लू से राहत है मिला, पड़ते नीर फुहार।
लाया मौसम झूम के, खुशियों का संसार।।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार