*पावन हरियाली को*
पावन हरियाली को
गगन निहारे ओर धरा की पावन हरियाली को,,
पर्वत देख रहे है देखो फूलो की खुशहाली को,,
कल कल बहता पावन जल है झरना से झरता है,,
पंछी कलरव,गाते भवरे हिलाते फूल की डाली को,,
इस तरहा से साज और श्रंगार धरा करने बाला कौन है,,
कौन करे है सुंदर इन वादियों की अच्छी रखबाली को,,
प्रकति का अनुपम चित्रण दिखता है जिस धरा पर,,
सदा ही होती सौम्यता,शांति का संदेशा देनी बाली को,,
जी ललचे देखन ऐसी अनुपम पावन प्रकत थल को,,
छूये मनु भी फूलो तितली पंखों पत्तो की हरियाली को,,
मानक लाल मनु