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4 Sep 2024 · 4 min read

*पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर*

पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रामपुर
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लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
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रामपुर में दो जैन मंदिर हैं। एक फूटा महल, रामपुर शहर में है। दूसरा सिविल लाइंस में है । सिविल लाइंस वाला आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर कहलाता है।

पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर अत्यंत प्राचीन है। सर्वसाधारण का मानना है कि यह मंदिर रामपुर में नवाबी शासन 1774 ईसवी से पहले का है।

मंदिर के भीतर लिखे हुए इतिहास-विवरण से पता चलता है कि मंदिर के विस्तार हेतु भूमि 1851 में दान स्वरूप श्री मूल चन्द्र बम्ब व श्री सीताराम बम्व द्वारा प्राप्त हुई है। इससे यह तो सिद्ध हो ही रहा है कि 1851 से पहले भी इस स्थान पर पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर का किसी न किसी रूप में अस्तित्व विद्यमान था और मंदिर संचालित हो रहा था।

लिखित विवरण से ही यह भी पता चलता है कि वर्ष 1908 से 1927 के मध्य मन्दिर की वेदी ‘ आले ‘ के रूप में प्रयोग की गई। संभवत रामपुर रियासत में सार्वजनिक रूप से पूजा के स्थान पर दब-ढक के श्रद्धापूर्वक पूजागृह संचालित करने की कार्य पद्धति इसका कारण रही होगी।

लिखित इतिहास से ही यह भी पता चलता है कि 1927 में मन्दिर के गर्भगृह में वेदी प्रतिष्ठा, दीवारों पर जापानी टाइल्स, फर्श पर पत्थर आदि का सौन्दर्याकरण कार्य श्रीमती कुन्दन बाई जैन धर्मपत्नी श्री अजुध्या प्रसाद जैन बम्व के द्वारा करवाया गया। मंदिर के गर्भगृह में फर्श पर निर्माणकर्ता के नाम का पत्थर लगा हुआ इस लेखक ने देखा और पढ़ा है। इस पत्थर पर संवत 1984 अंकित है। आज जबकि विक्रमी संवत 2081 चल रहा है तो इस पत्थर के द्वारा भी लगभग सौ साल पुराना मंदिर के फर्श पड़ने का इतिहास सिद्ध हो रहा है। फर्श के शिलालेख में इस प्रकार अंकित है:-

श्रीमती कुंदन बाई धर्म पत्नी ला. अजुध्या परशाद जैन बंब रामपुर स्टेट कार्तिक शुक्ल 10 संवत 1984

मंदिर के भीतर लिखित इतिहास के अनुसार मंदिर के शिखर का निर्माण सन् 1948-50 के मध्य हुआ। लगभग यही वह समय था जब मंदिर के विस्तार और उसके विविध कार्यक्रमों के धूमधाम से आयोजन की शुरुआत हुई।

जैन बाग का भी मंदिर से गहरा संबंध रहा। आजादी मिलने के अगले साल ही जैन बाग खरीदा गया और हर साल रथयात्रा मंदिर से शुरू होकर जैन बाग जाती है। रथयात्रा के लिए सुंदर रथ का निर्माण 1952 में गेंदन लाल जैन व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कपूरी देई जैन द्वारा करवाया गया।

वर्ष 1992 में रामपुर में स्थित हरियाल गॉंव में खुदाई के दौरान लाल रंग के पत्थर की भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा मिली। पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में वह प्रतिमा स्थापित होने के बाद तब से प्रतिदिन पूजी जा रही है। यह जैन आस्था के केंद्र के रूप में प्राचीन रामपुर के इतिहास की ओर गंभीर रूप से इंगित कर रहा है।

धर्मशाला मकान के रूप में 25 मई 1889 में मूलचन्द्र पुत्र सीताराम द्वारा इस आशय से दान स्वरूप दी गई थी कि इसकी आमदनी मन्दिर पर खर्च की जाये। धर्मशाला का निर्माण 1925-30 के आसपास हुआ। इसका नव-निर्माण सन् 2006 में किया गया। धर्मशाला के निर्माण से मंदिर की गतिविधियों को चौगुना विस्तार प्राप्त हुआ।
आज इसी धर्मशाला के भीतर श्रीमती अलका जैन द्वारा 14 मार्च 2017 को अपने पति अक्षय कुमार जैन की स्मृति में फिजियोथैरेपी सेंटर भी स्थापित है, जिसका संचालन मंदिर और जैन समाज करता है। धर्मशाला के भवन का उपयोग सुख-दुख के कार्यक्रमों में जैन समाज द्वारा द्वारा किया जाता है।

पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर ‘बाबू आनंद कुमार जैन मार्ग’ पर स्थित है। इस आशय का एक सुंदर काला पत्थर जैन मंदिर के निकट लगा हुआ है। यद्यपि पुराना नाम ‘फूटा महल’ अधिक प्रचलित है।

मंदिर का प्रवेश द्वार जमीन से काफी ऊंचा है और कुछ सीढ़ियां चढ़कर बड़े-बड़े अक्षरों में प्रवेश द्वार के निकट ‘दिगंबर जैन मंदिर’ लिखा हुआ है। मंदिर की भव्यता मन को मोहने वाली है। जूते-चप्पल बाहर उतार कर ही मंदिर परिसर के भीतरी द्वार से प्रवेश करने की अनिवार्यता है। गर्भगृह में जाने के लिए ‘मोजे’ पहनने की अनुमति नहीं है। यद्यपि ड्रेस कोड तो कोई लागू नहीं है, लेकिन फिर भी शालीन वस्त्रों में ही मंदिर परिसर में प्रवेश की अपेक्षा मंदिर संचालकों द्वारा भक्तजनों से की गई है।

मंदिर के भीतर एक पुस्तकालय भी है। कई अलमारियों में पुस्तकें रखी गई हैं ,जो शीशे के भीतर से चमक रही हैं।
पुस्तकों का उपयोग यही होता है कि उन्हें पढ़ा जाए और उसमें लिखे हुए को जीवन में धारण किया जाए।

पुस्तकों का पाठ

पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, फूटा महल की एक विशेषता यह भी है कि यहां कई महिलाओं को हमने एक कक्ष में बैठकर पुस्तकों का पाठ करते हुए देखा। यह लिखे हुए को जीवन में उतारने की प्रक्रिया है।
भक्ति भाव से जैन समाज के अनेक लोग भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमाओं के सम्मुख पूजन करते हुए देखे गए। बहुत भीड़ तो नहीं थी, लेकिन दस-बारह लोग भी अगर किसी मंदिर में जाकर उच्च आदर्श की स्थापना के लिए साधना करते हों ;तो यह बड़ी बात होती है। शांत और दिव्य चेतना से ओतप्रोत पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर का भीतरी वातावरण किसी भी व्यक्ति को आध्यात्मिक लोक में विचरण करने के लिए प्रेरित कर सकता है। जैन धर्म के महान तीर्थंकरों ने मनुष्य मात्र को मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने का जो संदेश दिया, उस राह पर न केवल जैन समाज अपितु संपूर्ण मानवता को पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, फूटा महल, रामपुर से आज वह संदेश चारों दिशाओं में गहरी आस्था के साथ प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। यह मंदिर रामपुर के लिए एक महान आध्यात्मिक निधि है।
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संदर्भ: पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, फूटा महल, रामपुर में दिनांक 27 मई 2024 सोमवार को लेखक द्वारा भ्रमण एवं दर्शन के आधार पर

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