पार्क के जोड़े
दुनिया से बेखबर
एक दूसरे की आंखों
मे आंखे डाले हुए
भविष्य के सपनो मे खोये
कुछ मंझे हुए
अपनी आगे की
रणनीति विचारते
पिछले अनुभवों को
खंगालते,
कि खुले मे
इससे आगे
बात बिगड़ भी सकती है।
पिछला किस्सा इसी जल्दबाजी
से खराब हुआ था,
कुछ अभिव्यक्ति की
आजादी के समर्थक
एक दूसरे से लिपटे
हुए
तो जले भुने
अकेले ,
अगले दृश्य के
नयन सुख
की आहट मे
दम साधे नजरें
गड़ाए हुए
टहलने आये
विवाहित जोड़े
पुराने दिनों को याद करते
और बच्चों की कौतूहल
भरी आंखों को ताकीद
करते, कि उधर मत देखो
बुज़ुर्ग फिर
देखते ही
जमाने को दोष
चढ़ाकर ही आगे बढ़ते,
अब ये सारे ही
घर बैठे
बस चीन को
याद कर रहे हैं
वुहान की लैब की तो
हिचकियां रुक ही नही
रही।
इसीलिए शायद जिन पिंग
ने गलवान मे अपनी
सेना को भेजा है।
कि तुमने हमे याद करना
बंद नही किया
तो फिर युद्ध हो कर
रहेगा।