पारिवारिक व्यथा
पारिवारिक व्यथा
पारिवारिक व्यथा ( आज की हकीकत)
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पारिवारिक जीवन की अलग दास्ताँ है |
माँ बाप से औलाद की अलग रास्ता है || टेक||
बड़े जतन से माँ बाप ने गृहस्थी सम्हाला,
पाच सात बच्चों को मुसिबतों मे पाला |
बड़े होकर बच्चों का अलग वास्ता है ||1||
अकेला पिता चार छै बच्चों को पाले ,
छै होकर मा बाप को घर से निकाले |
बढ़ता क्यों ऐसा दिलों में फासला है ||2||
कमाई का लालच और एकाकीपन ,
भाई ही भाई का बन रहा हैं दुश्मन |
अपनों से ज्यादा दुसरा सदा भाता है ||3||
पाश्चात्य संस्कृति है संस्कार पर भारी,
बराबरी दर्जा पर पुरुष पर नारी भारी |
आधुनिक युग नीत्य नये रंग दिखाता है ||4||
साँझा चूल्हा खत्म हुए दिल के रिस्ते दूर ,
पुछ परख कम वृद्धों की मर्यादा बेदस्तूर ||
किसी का किसी से रहा ना वास्ता है ||5||
डॉ पी सी बिसेन बालाघाट (म.प्र.)