Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2024 · 3 min read

“पारदर्शिता की अवहेलना”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
===================
डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आयामों को छूते चले गए ! मित्रता की परिभाषा बदल गयी ! सीमित परिधियों में मित्रता को बाँधने की चेष्टा धूमिल होती गयी ! उड़ते परिंदों की भाँति सम्पूर्ण क्षितिज को अपना घोषला बना लिया ! सरहद की दीवारें भी हमें रोक न सकीं ! ना भाषा अवरोधक बनी ना परिधान ,परिवेश ,रंगरूप और ना हमारी संस्कृति ही मित्रता के आड़े आयी ! सम्पूर्ण मित्रता सौरमंडल में परवर्तित हो गया!
नभ के चमकते तारे तो बन गए ! प्रकाश सभी तारों में विद्धमान है ! भटके हुए लोगों को राह दिखाते हैं ! परन्तु हम सौरमंडल में एक साथ रहते हुए भी एक दूसरे से कभी मिल नहीं पाते ! खगोलशास्त्री के प्रयत्नों से इन तारे और भौगोलिक पिंडों के ज्ञान को अर्जित किया जा सकता है पर यह बिडम्बना ही कहें कि पारदर्शिता के आभाव में हम अपने मित्रों को भी ना पहचान पाते हैं ! सब के सब फेसबुक के सौरमंडल में अनगिनत मित्र अहर्निश रहने के बावजूद भी एक दूसरे को सिर्फ निहारा ही करते हैं !
अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी है ! एक तरफ अनजाने डगर पर निकल पड़े हैं ! सब के सब अपरचित फिर भी ललक है लोगों से जुड़ने की ! लोगों ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से अपने प्रोफाइल को “लॉक ” कर रखा है ! नयी संभावनाओं के साथ दुर्घटनाओं की आशंका भी बलवती होने लगी है ! फिर भी चैन कहाँ लोगों को ? मित्रता का अनुरोध मानो बुलेट ट्रैन की गति पकड़ ली हो ! मित्रता की बढ़ोतरी ऐसा प्रतीत होने लगा है जैसे सेना का कोई विशाल रेजिमेंट बनाने की कोई प्रतिस्पर्धा चल पड़ी हो ! ” लॉक प्रोफाइल अनुरोध ” अधिकांशतः ताश के पत्ते के महल के तरह प्रारंभ में प्रतीत होता है ! यहाँ भी पारदर्शिता के आभाव में ये ढ़हने लगता है !
बहुत प्रयासों के बावजूद भी पारदर्शिता वाली शीशा धुंधली नज़र आती है ! लॉक प्रोफाइल अनुरोध को स्वीकार करना बहुत जोखिम भरा काम होता है ! कभी -कभी ” नाम बड़े तो दर्शन छोटे मिलने की सम्भावना हो जाती है ! प्रत्येक व्यक्ति की अपनी -अपनी पसंद होती है ! यदि आप लेखक हैं तो अधिकांशतः लेखक से ही जुड़ेंगे ! आपकी हॉबी से मिलते -जुलते लोग ही आप से जुड़ेंगे ! लॉक प्रोफाइल के अनुरोध को स्वीकारना और बाद में विचारों का ना मिलना एक द्वन्द का श्रीगणेश हो जाता है ! आप उत्तरी ध्रुब के प्राणी हैं और हम दक्षिणी ध्रुब के ! भला चुंबकीय आकर्षण हो कैसे सकता है ? कोई लाख ढ़ाढ़स दे दे कि ” चलो भाई यह डिजिटल मित्रता है ! सामंजस्य बनाये रखो !”ये सारी बातें कहने के लिए है ,प्रायोगिक कथमपि संभव नहीं हो सकता !
यह बातें अकाट्य है कि अधूरी पारदर्शिता के परिणाम स्वरुप मित्रता की दीवार चटकने लगती है ! आखिर पारदर्शिता के नियमों को हम अनदेखी क्यों कर देते हैं ? कुछ कामयाब कदम को बढ़ाएंगे तो अपनी मित्रता को सुरक्षित रख पाएंगे ! अपने फेसबुक अकाउंट के प्रोफइल पन्नों पर अपनी जानकारी भलीभांति दें ! कोई भी कॉलम अधूरा ना छोड़ें ! अनुरोध स्वीकार करने के उपरांत आपस में पत्राचार मैसेंजर पर करें ! आपका परिचय अधूरा ना रहे ! आपकी रूचि ,आपका हॉबी ,खेल -कूद और एक्स्ट्रा -एक्टिविटी का उल्लेख होना चाहिए ! मैं यह मानता हूँ कि किसी को अपना परिचय छुपाना यथार्थ नहीं होता है ! मित्रता में पारदर्शिता का मोल अतुलनीय होता है और इसकी अवहेलना व्यक्तित्व को धूमिल बना देता है !
=====================
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
29.09.2024

Language: Hindi
Tag: लेख
42 Views

You may also like these posts

उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
.....
.....
शेखर सिंह
उर्मिल
उर्मिल
Rambali Mishra
प्रकृति का भविष्य
प्रकृति का भविष्य
Bindesh kumar jha
किसे फर्क पड़ता है
किसे फर्क पड़ता है
Sangeeta Beniwal
गाँव भइल आखाड़ा
गाँव भइल आखाड़ा
आकाश महेशपुरी
आह
आह
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
4286.💐 *पूर्णिका* 💐
4286.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कोई भी
कोई भी
Dr fauzia Naseem shad
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
Keshav kishor Kumar
धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)
धन्य करें इस जीवन को हम, चलें अयोध्या धाम (गीत)
Ravi Prakash
तुम सहारा बनकर आओगे क्या?
तुम सहारा बनकर आओगे क्या?
Jyoti Roshni
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम...
पं अंजू पांडेय अश्रु
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
Paras Nath Jha
"कश्मकश"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम और भय क्या है दोनों में क्या अंतर है। रविकेश झा
प्रेम और भय क्या है दोनों में क्या अंतर है। रविकेश झा
Ravikesh Jha
दिखावटी लिबास है
दिखावटी लिबास है
Dr Archana Gupta
सच
सच
pradeep nagarwal
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
Preksha mehta
दिल में इश्क भरा है
दिल में इश्क भरा है
Surinder blackpen
What a wonderful night
What a wonderful night
VINOD CHAUHAN
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
डॉ० रोहित कौशिक
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
मैं बनना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेमी,
Dr. Man Mohan Krishna
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
डॉक्टर रागिनी
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
पूर्वार्थ
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
Neelofar Khan
सच रेत और रेगिस्तान का भी मतलब होता हैं।
सच रेत और रेगिस्तान का भी मतलब होता हैं।
Neeraj Agarwal
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
व्यथा दिल की
व्यथा दिल की
Devesh Bharadwaj
Loading...