*”पायल”*
“पायल”
पांवों में सजती नारी का श्रृंगार कराती,
सुनहरी चमकती सी पायल।
प्रीत की रीत जगाती ये ,
मन को कर जाती है घायल।
नई नवेली दुल्हन के पांवों में बजती,
छुन छुन छम छम चमकती हुई पायल।
मधुर सपनों में खोए हुए रहती ,
देख सजनी जब पांवों की पायल।
कोमल सुंदर रूप निखारती,
पैरों का सौंदर्य बढाती पायल।
इधर उधर जब पग धर चलती ,
तब चुपके चुपके छमछम बजती पायल।
सोलह श्रृंगार कर दुल्हन सजती सँवरती ,
पांवों की सुंदरता बढा जाती पायल।
मायके से जब ससुराल विदा हो चलती ,
पांव पैजनिया नुपुर बजाती पायल।
सुंदर संगीत पैरों में बजती जाती ,
जादू सा जगाती पांवों की पायल।
जय श्री कृष्णा राधे राधे ?????
शशिकला व्यास✍️