पाप का एक दो पैसा पुण्य में
पाप का पैसा पुण्य कार्य पर भी लगाओ
यही सोचते हैं बहुत लोग मन के शून्य में
कभी पैसो की शून्यता तो हो ही नहीं
पापो से बचने को कुछ न कुछ जरूर अर्जन आवश्यक
कही से भी पैसा आए
गैरों का भी माल बटोर लिया जाए
शून्यता भौतिकता से भरी जानी चाहिए
गिरह काटो या गर्दन
गबन , घपला औ घोटाला भी पैसों का है बड़ा स्रोत
नौकरी कर कम पैसों में जो खुश नहीं
वे कुछ भी कर सकते हैं
एक अपराधी मन लिए डाल सकते हैं डाका
और भी बहुत पाखंडी , ढपोढशखी और संकीर्ण व्यक्ति डरते हैं भगवान से
समाज और सरकार से
अलबत्ता ,करते हैं खूब पूजा पाठ करते हैं मन्दिरों ,नदी घाटों पर दान पुण्य
बड़ी वाली कृपणता भी तो है
सत्यनारायण प्रभु की कथा ,पूजा के लिए बीस हजार में से पांच सौ निकाल लो
गढ़ मुक्तेश्वर घाटों पर भिखमंगो में पूरी , सब्जी , लड्डू और दो चार सौ बांट दो
सोचते हैं , पापों से बचने को यह पुण्य वाला तरीका बहुत ठीक है