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11 Feb 2024 · 1 min read

पापी मनुष्य

पापी मनुष्य, दिल में कई अँधेरे,
करता अनेक अन्याय, और संघर्ष से है परे।

प्रेम की बजाय, वह चुनता है हिंसा का मार्ग,
समझ न पाता वह, धर्म का सच्चा सार।

अपने को खो देता, मोह की वजह से,
पापी मनुष्य, खुद को खो बैठता है रहस्ये।

परंपरा की बंधनों में, उसकी आत्मा बंधी है,
पापी मनुष्य को, सत्य का रास्ता नहीं दिखता है।

लेकिन जब उसकी दृष्टि में, उजाला जगमगाए,
तो पापी मनुष्य को, मुक्ति का मार्ग दिखाये।

सत्य की राह पर, चलने को तैयार हो,
पापी मनुष्य, पुनः बने नई आशा का संग।

1 Like · 103 Views
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