पापा
मेरे नन्हे हाथों ने बड़ी मजबूती से थामा था
लगता था मेरी मुट्ठी में तब सारा जमाना था
बाजार की भीड़ में भी बस चलते जाना था
पसंद की हर चीज को बस थैले में जाना था
कोई बड़ी नाली पड़े या रास्ता टेढ़ा मेरा पड़े
पापा तेरी बाहों के पुल हर पल मेरे साथ रहे
खुद तो तुम रहे धूप में हमें छाँह में पाला था
सब्र की जमीं पर हमारे ख्वाबों को पाला था
वह मजबूत उंगली मेरे बचपन का सहारा था
तेरी लाठी बन सकूं बस यही ख्वाब हमारा था