Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2023 · 1 min read

पापा मैं आप सी नही हो पाऊंगी

आंसुओं के सैलाब जो बांध लेते हैं पलकों के किनारों से
डबडबाई आंखों को देख खुद को रोने से न रोक पाऊंगी मैं
पापा आप इतनी बहादुर नहीं हो पाऊंगी मैं ।
जिसने इस काबिल बनाया कि कुछ बोल सकूं
उन्हें शब्दों की कारीगरी का आईना नहीं दिखा पाऊंगी मैं पापा इतनी महान लेखिका नहीं बन पाऊंगी मैं ।
पापा की परी ,लाडली ,राजकुमारी ऐसे नामों से बुलाते हैं
प्रेम का अथाह सागर मन में दबा सख्त व्यवहार ना दिखा पाऊंगी मैं
पापा इतना स्नेह हृदय में न छुपा पाऊंगी मैं।
मेरी हर सफलता का आधार बन, शीर्ष पर पहुंचाते हैं
नींव की तरह अदृश्य रहते एहसान भी नहीं जताते हैं
जरा में अपनी बड़ाई करने वाली स्वयं को महत्वहीन न कह पाऊंगी मैं
पापा आप जितनी श्रेष्ठता नहीं ला पाऊंगी मैं।
अपनी हर इच्छाएं हमारे शौक पर निछावर कर देते हैं
सर पर हाथ रखकर हिम्मत की छत बना देते हैं
मैं हूं ना कहकर परेशानियों को रुला देते हैं
कभी जो थकने लगी बिन सहारे आपके कैसे उठ पाऊंगी मैं
पापा आप जितनी जीवट नहीं हो पाऊंगी मैं ।
एड़ियों को घिस कर अपनी हमारी हाथों की लकीरें चमकाते हैं
जिंदगी की धूप में तप कर हमारे ख्वाबों का महल बनाते हैं
जीवन जलाकर अपना दूसरो को प्रकाशित नहीं कर पाऊंगी मैं
पापा आप जितनी बलिदानी नहीं हो पाऊंगी मैं।

Language: Hindi
2 Likes · 187 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
कैमरे से चेहरे का छवि (image) बनाने मे,
Lakhan Yadav
"होशियार "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
मैं तुमसे यह नहीं पूछुंगा कि------------------
gurudeenverma198
अकेलापन
अकेलापन
भरत कुमार सोलंकी
इतनी के बस !
इतनी के बस !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
चलना है मगर, संभलकर...!
चलना है मगर, संभलकर...!
VEDANTA PATEL
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धड़का करो
धड़का करो
©️ दामिनी नारायण सिंह
बेरोजगारी के धरातल पर
बेरोजगारी के धरातल पर
Rahul Singh
हौंसले को समेट कर मेघ बन
हौंसले को समेट कर मेघ बन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संघर्ष
संघर्ष
Shyam Sundar Subramanian
छोड़ दिया किनारा
छोड़ दिया किनारा
Kshma Urmila
गुरू
गुरू
Shinde Poonam
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
संसार की इस भूलभुलैया में, जीवन एक यात्रा है,
पूर्वार्थ
सब कहते हैं की मजबूरियाँ सब की होती है ।
सब कहते हैं की मजबूरियाँ सब की होती है ।
Ashwini sharma
सुप्रभात!
सुप्रभात!
Sonam Puneet Dubey
4720.*पूर्णिका*
4720.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ इनका इलाज ऊपर वाले के पास हो तो हो। नीचे तो है नहीं।।
■ इनका इलाज ऊपर वाले के पास हो तो हो। नीचे तो है नहीं।।
*प्रणय*
" कैसा हूँ "
Dr Mukesh 'Aseemit'
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
World Hypertension Day
World Hypertension Day
Tushar Jagawat
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
हमारे सोचने से
हमारे सोचने से
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
Manoj Mahato
दिल टूटा तो हो गया, दिल ही दिल से दूर ।
दिल टूटा तो हो गया, दिल ही दिल से दूर ।
sushil sarna
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
अपवाद हमें हरेक युग में देखने को मिलता है ! एकलव्य एक भील बं
DrLakshman Jha Parimal
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
ऐसा लगा कि हम आपको बदल देंगे
Keshav kishor Kumar
आपकी अच्छाइयां बेशक अदृश्य हो सकती है!
आपकी अच्छाइयां बेशक अदृश्य हो सकती है!
Ranjeet kumar patre
Loading...