पापा! मेरे लिए महान तुम्हीं हो!
पुण्यतिथि पर पापा की याद में
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थाम के मेरी नन्ही ऊँगली
पहला सफ़र आसान बनाया
हर एक मुश्किल कदम में पापा
तुमको अपने संग ही पाया
कितना प्यारा था वो बचपन
जब गोदी में खेला करती
पाकर तुम्हारे स्नेह का साया
बड़े-बड़े मैं सपने बुनती
लेकर तुम्हारे व्यक्तित्व से प्रेरणा
देखो आज कुछ बन पाई
हौसलें व विश्वास के दम पर
एक राह सच्ची मैं चुन पाई
बदला मौसम, छूटा बचपन
देखो अब बच्ची नहीं रही
बन गई हूँ मैं एक नारी
फिर भी हूँ तुम्हारी छुटकी वहीं
सच कहती हूँ पापा मानो
मेरे तो भगवान तुम्हीं हो
सृष्टि के त्रिदेव से बढकर
मेरे लिए महान तुम्हीं हो
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’