पापा पर शायरी
भरी दुपहरी में छाँव है पापा
लहरों से बचाती नाव है पापा ।।
सारी दुनिया शहर स्वार्थ का
इक अपना सा गाँव है पापा ।।
– चिंतन जैन
भरी दुपहरी में छाँव है पापा
लहरों से बचाती नाव है पापा ।।
सारी दुनिया शहर स्वार्थ का
इक अपना सा गाँव है पापा ।।
– चिंतन जैन