पापा क ई रातें जागे हैं
पापा क ई रातें जागे हैं
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जब मैं छोटा बच्चा था मुझको
बुखार हो जाता था।
पापा रातों को जागकर,
मुझको सुलाया करते ।
तब मैं चुप हो जाता , और चैन से
सो जाता —-
ये देख पापा खुश होते ,
और उनका दिल भर आता—-
मां को होती बहुत हैरानी,
मुझसे चुप नहीं होता ।
पापा की गोदी में जाते ही,
चुपचाप बेटा!सो जाता ।।
क ई रातें जागे हैं वो ,
सोयेनहीं क ई रातें ।
अपने बच्चे की पीड़ा देख,
करते नहीं किसी से बातें ।।
पापा क ई रातें जागे हैं——-
मेरी नटखट शैतानी देख
पापा बहुत खुश हो जाते ।
हर गल्ती को मांफ करते ,
मन ही मन हर्षाते!!!
जब मैं छोटा बच्चा था।
पापा क ई रातें जागे हैं——–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर