पापा की बिटिया
लोग कहते हैं कि मैं पापा जैसी दिखती हूँ.
जब भी मैं पढाने जाती पापा की बिटिया हो जाती
जब भी सिर्फ आंसू नैनों की कोरोसे निकल ते .
बिना किसी रव के गालों पर ठिठकते दिखते.
मैं भी पापा की बिटिया हो जाती उन जैसी हो जाती.
गहरी आंखों में दर्द बेइंतहा छुपा कर मौन रहती.
बड़ी बात कहने से कभी भी नही हिचकिचाती.
अभावों का अहसास होता तो भी मिट्टी डाल देती.
बड़ों के आगे धैर्य की पराकाष्ठा का इम्तिहान लेती
तभी तो मैं पापा की बिटिया बन जाती नहीं मैं
ही पापा की बिटिया कहलाती.