पापा की परी हूं मैं
पापा की परी हूं मैं
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बचपन से लेकर, यौवन तक,
यही सुनती आई हूं।
सबकी राजदुलारी हूं मैं,
पापा की परी हूं मैं—-
मां की आंख का तारा हूं,
पापा कि मैं जान हूं
भाई की हूं प्यारी में।
पापा की परी हूं मैं—
क ई तरह के रंग बिरंगे,
खिलौने लाकर के पापा देते
जो सबका मन हर लेते।।
पापा की परी हूं मैं—-
मेरे जन्मदिन पर पापा,
ढेरों उपहार है देते ।
मन पसंद की ड्रेस दिलाकर,
मुझको खुश कर देते।।
बचपन से लेकर,यौवन तक
यही सुनती आई हूं,
पापा की परी हूं मैं—-
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर