पापा आपकी ,बहुत याद आती है!
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण करते समय पापाजी की बहुत याद आ रही थी,उन्ही यादों को काव्यरूप देने का लघुतम प्रयास।
●पापा आपकी
बहुत याद आती है
हर पल आपकी
कमी खलती है
आपकी याद
बड़ा सताती हैं
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
•करना हो जब
भी नया काम
आपकी सलाह
आदेश ,इच्छा
की जरूरत
हमेशा लगती है
आपके जैसी
राय ,न कोई
दे पाता है,
और न मेरे
मस्तिष्क में
आती है
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
•जाता हूँ जब
भी घर से
दूर कहीं
बस स्टैंड
तक छोड़ना
पहुंचने से
पहले दो-चार
बार फोन करना
कहना ,बेटा
पहूंच कर फोन
जरूर करना
हो जाता जब
भी लेट कभी
बार बार फोन
कर पूंछना
बेटा कहाँ तक
पहुंचे, अब तो
जल्दी जाता हूँ,
देर रात आता हूँ
रास्ते मे आती
हर रिंग , आपके
फोन सी लगती है
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
•पहले आप
के समय क्या
दिन थे वो
बोलने से पहले
ही सारी जरूरतें
पूरी हो जाती थीं
आप फटी बनियान
में महीनों निकाल
देते थे, हमें
खर्चे का कभी
अहसास नहीं
होने देते थे,
आज जब
खुद कमाता हूँ
खर्च करने से
पहले चार बार
सोचता हूँ ,
सही कहते थे
लोग आज
अहसास होता है
शौक तो केवल
पिताजी की कमाई
से पूरे होते हैं
अपनी कमाई से
तो खर्चे बमुश्किल
पूरे होते हैं
आज आपकी हर
डांट की सच्चाई
दिखाई देती है
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
पापा जब हर साल,
करवा चौथ आती है।
माँ आपके नाम,
निर्जला व्रत रखती है।
आपकी फोटो ,
चलनी से देख माँ,
अश्रु रोक न पाती है।
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
पापा आपकी
बहुत याद आती है।
-जारी
-©कुलदीप मिश्रा