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28 Jul 2021 · 1 min read

“पानी”

“पानी”
******

पानी तो पसरा है , सारा जहां;
पर,सबको पानी मिलता कहां।

सब मिलकर पानी को बचाइए,
हर प्यासे तक, पानी पहुचाइए।

पानी को जरूर , शुद्ध कीजिए;
शुद्ध पानी को ही सदा पीजिए।

पानी है , सबका जीवन दायी;
किस्मत से ही,सबने पानी पाई।

पानी में भी, कुछ जीवन होता;
पानी भी तो , एक दर्पण होता।

पानी में ही , कुछ अर्पण होता,
पानी में तो सब,समर्पण होता।

पानी तो, प्यास भी बुझाती है;
जीवन में , ये आस जगाती है।

पानी, जल भी तो कहलाती है;
पानी ही गंगाजल बन जाती है।

पानी ही , सबका आहार भी है;
पानी तो सबका व्यवहार भी है।

पानी से ही, मानव-वाणी भी है;
ये दुनिया तो, पानी-पानी ही है।
०००००००००००००००००००

…… ✍️पंकज “कर्ण”
……………कटिहार।।

Language: Hindi
7 Likes · 2 Comments · 946 Views
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