पानी हे अनमोल
पानी हे अनमोल
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पानी हे अनमोल संगी,जुरमिल के बचाना हे।
नदिया नरवा के पानी ल,रोके के ठावँ बनाना हे।
बांधा के पानी ल रोकके ,नहर म सोरियाना हे।
नहर के पानी ल संगी ,खेत म दताना हे।
खेत म जुलमिल संगी,नांगर घलो चलाना हे।
धरती दाई के कोरा म,सोनहा धान ल उबजाना हे।
पानी हमर जीवन हे संगी, फसल लहलहाना हे।
धान ल उबजाके संगी,अन्नदाता कहाना हे ।
किसम किसम के बीज बोके,बिरता घलो लगाना हे।
हरियर हरियर साग भाजी,जनता ल दिलाना हे।
जल संरक्षण के उपाय बर,रुख राई पोठ जगाना हे।
सुरसुर सुरसुर हवा चलही,शुद्ध हवा घलो पाना हे।
पानी हे अनमोल संगी,जुरमिल के बचाना हे।
नदिया नरवा के पानी ल,रोके के ठावँ बनाना हे।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822