*पानी बरसा हो गई, आफत में अब जान (कुंडलिया)*
पानी बरसा हो गई, आफत में अब जान (कुंडलिया)
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पानी बरसा हो गई, आफत में अब जान
गलियों में पानी भरा, इसका कहॉं निदान
इसका कहॉं निदान, नालियॉं झटपट भरतीं
घर में कैदी लोग, व्याधियॉं हमला करतीं
कहते रवि कविराय, न पीड़ा जग ने जानी
लिए बालटी हाथ, उलीचा जिसने पानी
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व्याधियॉं = बीमारियॉं
बालटी = बाल्टी, पानी भरने का एक पात्र
उलीचा = भरे हुए पानी को किसी पात्र से बाहर फेंकना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451