पानी की तरह रंग है वो कितनी हसीं है
पानी की तरह रंग है वो कितनी हसीं है
मानो है हवा सुब्ह की हाँ इतनी हसीं है
बर्बाद लगे ताजमहल सामने उसके
इक बार ज़रा सोचो कि वो कितनी हसीं है
वो सबसे अनोखी है वो है सबसे निराली
पूनम के हसीं चाँद के ही जितनी हसीं है
बरसात की छम-छम से बने गीत से ज़्यादा
दीवाने उसे सुनते है वो इतनी हसीं है
इक उम्र में तफ़्सील कभी हो नहीं सकती
मैं कैसे बताऊँ कि सनम कितनी हसीं है
पाने को उसे मौत भी मंज़ूर है सबको
वो हुस्न की मूरत हाँ सुनो इतनी हसीं है
– जॉनी अहमद क़ैस