पानी आँखों में भर लेना
गीत
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पानी आँखों में भर लेना
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जब सावन में बदरी बरसे,
मन मिलने को तड़फे तरसे,
जो चले गये बेशक घर से,
पर जा न सके उर के दर से,
उनकी उस छुअन रेशमी को ,महसूस लवों पर कर लेना ।
पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना ।।
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जड़ सींचा करता है माली,
तब महका करती है डाली,
खिलतीं हैं कलियाँ मतवाली,
टूटें ,गुलशन लगता खाली,
अनगिन नयनों ने अश्क पिये, कुछ मन में पी अंदर लेना ।
पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना ।।(१)
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थे माँगों का सिंदूर गये,
कितनी आँखों के नूर गये,
सपने कर चकनाचूर गये,
पर नहीं दिलों से दूर गये ,
जब लौटे लिपट तिरंगे में, उर पटल चित्र वह धर लेना ।
पल दो पल उनकी यादों का, पानी आँखों में भर लेना ।।(२)
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वे हँसते-हँसते चले गये,
कैसे कह दूँ वे छले गये,
जो गोदी खेले पले गये,
कुरबानी के मनचले गये,
नयनों के बहते काजल की,पीड़ा थोड़ी सी हर लेना ।
पल दो पल उनकी यादों का पानी आँखों में भर लेना ।।(३)
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-महेश जैन ‘ज्योति’
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