*पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)*
पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)
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पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र
सौ-सौ बाधाऍं पड़ीं, सदा मध्य में वक्र
सदा मध्य में वक्र, कमल शतदल का खिलता
शिव का रूप अनंत, कहॉं मानस में मिलता
कहते रवि कविराय, कठिन है स्वाद बताना
कठिन बिना आकार, तत्व निर्गुण को पाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451