पादाकुलक छंद ( चँद्र शेखर आजाद )
पादाकुलक 16
चार चौकल
चँद्रशेखर आजाद
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तिलक सुशोभित चंदन जाके।
प्रिय सुत सुन्दर भारत माँ के।
पंडित शेखर बदन गठीला ।
मूंछ तनी जोधा रौबीला ।
बदन जनेऊ लागत नीका ।
दूर गुलामी चिंतन जीका ।।
भाल विराजत तेज अपारा ।
वह आजाद सभी को प्यारा।
अँगरेजों को खूब छकाया।
आजादी का बिगुल बजाया।।
सुख सुविधा जीवन की त्यागी।
क्रांति करैया उगलत आगी।
मुख मंडल निकसत चिनगारी।
कांपे पुलिस बड़े अधिकारी।
देश विशेष भगति हठ ठानी।
मांगत गोरे शासक पानी ।
खटके शासन आँखन शेखर।
धोखा सहित पुलिस दल लेकर।
बाग इलाहाबाद घनेरा।
चारों दिशा पुलिस ने घेरा।
चली दनादन दन दन गोली।
खेली वीर तहाँ रुचि होली ।
गिन गिन मारे पुलिस सिपाही।
एक अकेला बिन परवाही ।
लड़त समाप्त भईं जब गोली।
भारत माता की जय बोली।
खुद पिस्तौल सिरहिं निज मारी।
जीवित पकड़ें नहिं अधिकारी।
डरे सकल तेहि पास न आवहिं।
तन मिट्टी पिस्तौल चलावहिं ।
वीर अनेक यही व्रत ठाना ।
तव बलिदान न जाय बखाना।
होत शहीद हुआ जग नामा ।
अंतिम सांस तजा नहिं कामा।
भभरा ग्राम भये पंडित घर।
भोजन कठिन जुटें पेटन भर ।
पास रखें खुद विपुल खजाना।
पर घर में न दिया इक दाना ।
यह धन भारत के हित वारों।
मात पिता चह गोली मारों ।
कठिन समय यह बात विचारी।
निज सुख है भारी गद्दारी ।
सोच यही लें अबके नेता।
राष्ट्र बने फिर विश्व विजेता।।
पितु शुचि सीताराम तिवारी।
माता जगरानी अति प्यारी। ।
भगति विवेक चलावहिं चरखा।
बसहिं सुपावन ग्राम बदरखा ।
जो उन्नाव निकट कहलाये।
झबुआ रोजी के हित आए।
सन छै भयउ तहाँ सुत एहा।
देश हिताय तजी निज देहा ।
धन्य पिता माता जिन जायो।
प्राण लुटा कुल कीर्ति बढायो।
सौ सौ नमन प्रणाम हमारा।
जय शेखर पंडित परिवारा ।
जबतक सूरज चाँद रहेगा।
जन मन जिंदाबाद कहेगा।
पादाकुलक रचे गुरु छंदन।
बारहिं बार करहुँ तव वंदन।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
11/5/23