Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2024 · 1 min read

पाती

पाती कोई जब लिखता है।
पृष्ठों पर प्रेम उतरता है।
सुधियों में खोया रहता मन,
श्वासों का बाग महकता है।।

✍️🌹डॉ .रागिनी शर्मा,इन्दौर

Language: Hindi
145 Views

You may also like these posts

पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
पिता के प्रति श्रद्धा- सुमन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
निभाना आपको है
निभाना आपको है
surenderpal vaidya
स्वच्छता अभियान
स्वच्छता अभियान
Neha
राख देख  शमशान  में, मनवा  करे सवाल।
राख देख शमशान में, मनवा करे सवाल।
गुमनाम 'बाबा'
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
सजी सारी अवध नगरी
सजी सारी अवध नगरी
Rita Singh
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
सच हमारे जीवन के नक्षत्र होते हैं।
Neeraj Agarwal
यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
Keshav kishor Kumar
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
#शीर्षक:- इजाजत नहीं
Pratibha Pandey
दीपावली
दीपावली
Dr Archana Gupta
हे शारद देवी नमस्तुभ्यं
हे शारद देवी नमस्तुभ्यं
उमा झा
प्यारी भाषा हिंदो
प्यारी भाषा हिंदो
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
Meenakshi Bhatnagar
हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
Sanjay ' शून्य'
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
!! कौतूहल और सन्नाटा !!
जय लगन कुमार हैप्पी
■ शर्मनाक सच्चाई….
■ शर्मनाक सच्चाई….
*प्रणय*
*विवेक*
*विवेक*
Rambali Mishra
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
शेखर सिंह
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
*सोचो वह याद करो शिक्षक, जिससे थे कभी गढ़े हम थे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
पिता
पिता
Swami Ganganiya
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
अधुरे सपने, अधुरे रिश्ते, और अधुरी सी जिन्दगी।
Ashwini sharma
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
पर्वतों से भी ऊॅ॑चा,बुलंद इरादा रखता हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
माता पिता
माता पिता
Taran verma
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
Vedkanti bhaskar
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
Loading...