पाती प्रेम की
आओ ना प्रिये हम प्यार करें। **********************
वर्षों पहले संग मिलकर,
हमने जो ख्वाब सजाए थे।
खिली कलियाँ पाने को,
जो प्रेम बीज उगाये थे।
अब बागों में चहकी बहारें,
चल सावन का सत्कार करें,
आओ ना प्रिये हम प्यार करें।
हम दोनों हैं प्यार के राही,
सफर कठिन हो सकता है।
पर अनुराग पला जो दिल में,
धूमिल कैसे हो सकता है।
जैसे धरती बादल देखके,
तब अपने को तैयार करे।
आओ ना प्रिये हम प्यार करें।
स्नेह पटल को प्यासे नैनों से,
मिलकर अथाह प्यार देना है।
पतझड़ मौसम बहुत रुलाया,
बसंत सा सँवार देना है।
बागों में कुसुमित पल्लव दमके,
ऋतुराज बन सब न्योछार करे।
आओ ना प्रिये हम प्यार करें।
उमड़ घुमड़ बरसूंगा तुझपर,
रिमझिम प्यार की बूंद लिए,
लिपट उठेगी चुनर धानी,
जैसे धरा हो खुद लिए।
सृष्टि जैसा प्रेम प्रणय हो,
एक दूजे पर उपकार करें।
आओ ना प्रिये हम प्यार करें।
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अशोक शर्मा, कुशीनगर,उ.प्र.
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