पागल
“कितनी देर हो गई तुम्हे यहाँ?” उसने आते ही पूछा. मैंने उसे आगे चलने का इशारा करते हुए कहा “पता नहीं मैं तो ध्यान में मग्न था”.
क्या? उसने मुड़ कर पूछा तो उसे देख कर मुझे ‘खुबसूरत’ शब्द याद आया और अभी यहीं खड़े होकर उसे कह देने का मन किया की किसी ऐसे ही पल के मैंने लिखा था ‘देखूं तुम्हे और देखता रहूँ/छू लूँ तुम्हे और महकता रहूँ’. पर सब कुछ कह कहाँ पता हूँ मैं. मैं चलते हुए उसके साथ हुआ और कहाँ “इंतजार करना ध्यान करने जैसा ही है इसमें भी आपको आसपास का कुछ नहीं दिखता, बस किसी एक बिंदु पर आंखे टिक जाती है और दिमाग में बस एक बात होती है कि अभी वो दिख जायेगा. मैं तो कहता हूँ की जो ध्यान नहीं लगा पाते उन्हें इंतजार करना चाहिए.”
“पागल” उसने कहा और हम जाने कहाँ की तरफ चल पड़े. थोड़ी दूर चलने पर जूस वाला दिखा और उसने उसे पीने के लिए कहा, हम जूस के आने का इंतजार करने लगे.
वक्त बहुत ढीठ है, हमेशा उसका उल्टा ही करता है जो इससे कहा गया हो. जब मैं ‘ध्यान’ में था तो ये सो गया था, आलस के मारे इत्ता धीरे हुआ था कि मुझे लग रहा था की कहीं मर तो नही गया. और अभी जब वो पास में बैठी है तो जैसे इसके पीछे कुत्ते पड़ गये हैं और ये अपनी आजतक की सबसे तेज़ रफ्तार से भाग रहा हो.
उसने मेरा ध्यान वक्त के पीछे भाग रहे कुतों से हटाया, “तो फिर बताओ, कैसे आना हुआ?”
सच उसको पता था “और मैं सच कहकर ‘सबकुछ खुबसूरत से’ को खत्म नहीं करना चाहता, और झूठ बोलने मैं इतनी दूर आया नहीं था. मैंने थोडा सोचा ठीक से बैठा और इतनी देर में दिमाग ने अपना काम पूरा कर लिया. “2-3” काम थे यहाँ, तो बस उसी के लिए एक तो तुझे पता ही है, दूसरा भी तुझे पता है और तीसरा तेरे लिए मैंने एक ही साँस में ये बात खत्म कर दी और उसे देखने लगा.
‘ये सुन वो थोडा सा हंस दी.
फिर थोड़ी देर हमने वहीँ बैठ कर बातें की या यूँ कहूँ उसने कहा और मैंने सुना, मुझे उसे सुनना शुरू से ही पसंद है और वो मेरे पास बैठी थी, मेरे अंदर ख़ुशी का जो ज्वार फूटा है, अगर कोई इसे माप ले तो अगले साल दुनिया के सबसे ख़ुशी आदमी में मेरा वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जाएगा.
कितनी फिल्मी बातें लिखता हूँ और सोचता हूँ मैं, मगर यही सच है, क्योंकि इस वक्त दुनिया में मुझे बस दो ही इंसान लग रहे हैं, वो और मैं.
अब वक्त भी कितनी तेज़ भाग सकता था, उसे कुत्तों ने पकड़ ही लिया और कर दिया लहूलुहान. समय समाप्त.
सब कुछ कहाँ कह पाता हूँ मैं……