–पागल खाना ?–
जमाना पागल हो गया है
या मेरी ही आँखों का हेर-फेर है
जिस को देखो नीच हरकत करते
रील पर रील में ही पेलमपेल है !!
अधखुले वस्त्र से बदन दिखा रहे
शर्म नहीं है कि बच्चे बड़े अब हो रहे
मिया बीवी ने लाज शर्म का घूंघट देखो
रील बना-बना के इज्जत खुद की उछाल रहे !!
कितना नीच और नंगा हो रहा है समाज
लगता है इस के सिवा नहीं कोई काम काज
नंगे होकर पैसा कमाने की धुन में यह पागल मियाँ
अपनी बीवी को छोटे से छोटे कपडे पहना रहे !!
यह पागल पन नहीं तो और क्या परोस रहे
युवा पीढ़ी की जिंदगी तबाह कर रहे
उम्र का भी ख्याल नहीं बाकी रहा मन में
नीचता की हर हद को पार पा रहे !!
जवानी तो दीवानी होती है सब को पता है
दुनिआ में अब बुड्ढे भी करतब दिखा रहे
जरा सा नहीं सोचते हम अब कहाँ (उम्र) हैं
नाती पोतों को अपनी बर्बादी की झलक दिखा रहे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ