पाखंडी मानव
मात्र दिवस मनाने से ,
कर्तव्य की इतिश्री नहीं होती ।
दिवस को प्रारंभ करने का,
उद्देश्य भी पूर्ण होना चाहिए ।
हम जो मानते है जल दिवस ,
पृथ्वी दिवस ,पंछी दिवस आदि ।
क्यों प्रारंभ किए गए थे क्या ,
हमें कुछ स्मरण है ?
क्या इनके लक्ष्य पूर्ण हो गए हैं।
हर दिवस मनाने के पीछे कुछ ,
कसमें खाई होती है ।
क्या वोह कसमें पूरी हो गई है ?
क्या हम जल का सरंक्षण कर रहे है ?
क्या हम पृथ्वी के स्वास्थ्य हेतु ,
पर्यावरण को शुद्ध करने में तत्पर है ?
क्या हमने अनावश्यक रूप से
पशु पक्षियों को सतना ,उनकी हत्या
करना छोड़ दिया है?
क्या उनके लिए अपने घरों में ,
दाना पानी का प्रबंध किया है ?
जब हम यह सब नहीं कर रहे हैं,
तो अपने कर्तव्यों से विमुख हो रहे है ।
हम कैसे मानव है ?
जो जीवन दायिनी नदियां ,
हमारी जीवन की पालन करता धरती ,
और अपने बेजुबान पशु पक्षियों ,
अपनी सम्पूर्ण प्रकृति को ,
तिरस्कृत कर रहे हैं।
हम बड़े कृतघ्न है ।
हम बड़े पाखंडी भी है ,
जो सिर्फ अमुक दिवस मनाते है ,
परंतु उसके पीछे छुपे उद्देश्य को ,
पवित्र भावना को अनदेखा कर रहे है ।
हम तो ऐसे है अपनी सुविधा और
स्वार्थ अनुसार कोई नियम बनाते है ,
और फिर स्वयं ही तोड़ देते हैं।
उसी प्रकार उक्त दिवस मनाना भी ,
हमारा एक फैशन है ,
एक दिखावा है और कुछ नही ।