पाक को ललकार — आर के रस्तोगी
पाक तूने औकात दिखादी, हमारे शेर को वापिस करने में |
वही शेर फिर वार करेगा,देखेगे कितना दम है तेरे घुटने में ||
आंतकवादी चूहे तेरे अब छिपे हुए है,जो तुमने पाले हुये |
जिनको तू समझता था अपना,वे देश तुझसे अब दूर हुये ||
समझ गये थे तेरी हरकतों को,वापसी में देरी क्यों कर रहा था |
चूहे जो तुमने अपने घर में पाले हुए थे, उनसे तू डर रहा था ||
मत दे तू गीदड़ भपकी,शेर न कभी किसी से कहाँ डरते है |
तू खाता है दूसरो का मारा शिकार,शेर खुद शिकार करते है ||
कटोरा है तेरे हाथ में,अब तू सारे संसार से भीख मांग रहा |
तेरी काली करतूतों के कारण,चीन भी तुझ से मुख मोड़ रहा ||
करता है शांति की बात एक तरफ,दूसरी तरफ सीज फायर कर रहा |
आंतकवादियों को ट्रेनिग देकर,भारत में उनको तू सीमा से भेज रहा ||
आर के रस्तोगी