पाकिस्तान को बालेन्दु की दो टूक
हम युद्ध नहीं लड़ना चाहते तो हमको कायर कहते हो ,
हम तुम्हें मारना ना चाहते तो हमको कायर कहते हो |
पर कायर कहने से पहले तुम एक बार ये भी सोचो,
गर उठा लिया हमने हथियार तो जाओगे कहाँ ये सोचो ||
तुम चाइना जाओगे या फिर अमरीका जाओगे,
तुम जहाँ भी जाओगे राह में हमें ही पाओगे |
गर हमसे युद्ध करोगे तो फिर बच ना पाओगे,
फिर चाहे इस दुनिया में तुम जहाँ भी जाओगे ||
हम भगवान बुद्ध सा शांतिदूत हैं,
पर परशुराम भी हम ही थे |
ये जान लो हमें ललकारने वाले,
पूरे विश्व विजेता हम ही थे ||
हमसे टकराने की कीमत को पहले से ही आंक लो तुम,
हमको कायर कहने से पहले अपने अंदर झाँक लो तुम |
हमारी बहादूरी के किस्से पूरी दुनिया में सुनाए जाते हैं,
और तुम्हारी गद्दारी के किस्से पूरे दुनिया में बोले जाते हैं ||
हम दोनों में ये अंतर है पहले से ही जान लो तुम,
हमको दुनिया गुरु मानती और अकेले खड़े हो तुम |
एक बार जरा अपने पीछे मुड़कर के तुम ये देखो,
तुम्हारे पीछे कितने थे और कितने हैं तुम ये देखो |
तुमने हरदम घात किया है दूजों के हथियारों से,
कभी अमरीका कभी चाइना और कभी किसी औरों से |
अपने दम पर कुछ कर ना सके हो और हमें ललकारते हो,
ये भी भूल गए आजादी हमसे ही पाए हो तुम |
पहले भी कुछ कर ना सके तुम अँग्रेजों के चमचे थे,
अँग्रेजों की बात में आ के माँ को खंडित किये हो तुम ||
उसका भी अबतक अफसोस नहीं तुम्हें,
तुम तो यहाँ के खलनायक हो |
जो गालियाँ हमको देते हो,
तुम खुद ही उसके लायक हो ||
अब मेरी इस बात को जरा गौर से सुनना तुम,
अब आगे से कुछ भी ऐसा वैसा नहीं बोलना तुम |
गर फिर से ऐसा कुछ करोगे तो अंजाम बहुत भारी होगा,
फिर से महाभारत की अग्नि में दुनिया सारी होगा ||
हम पाण्डव बन के आएँगे और तुमको वहाँ हराएँगे,
इस धरा से पाकिस्तान का नाम सदा के लिए मिटा देंगे |
गर जीना है तुमको तो फिर औकात में अपनी रहा करो,
अन्यथा की स्थिति में तुमको सदा के लिए सुला देंगे ||
इसको तुम चेतावनी समझो या फिर सलाह समझ लो तुम,
किंतु ये आखिरी मौका है इस बार ही सब समझ लो तुम |
इस बार अगर नहीं समझे तो फिर समझ ना पाओगे,
क्योंकि फिर खुद को कभी तुम यहाँ नहीं तब पाओगे ||
|| लेखक : यशवर्धन राज (बालेन्दु मिश्रा) ||
| हिन्दी प्रतिष्ठा, स्नातक प्रथम सत्र, कला संकाय |
|| काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ||