पाकिस्तान का ख़्वाब देने वाला शायर इक़बाल
गैरों से तहज़ीब की
उम्मीद करने वाले
ख़ुद इतना बर्बर होंगे
मालूम नहीं था हमें!
नज्म़ों और ग़ज़लों के
ख़ुबसूरत गुलदस्ते में
छिपे हुए खंजर होंगे
मालूम नहीं था हमें!
मज़हबी कत्लेआम की
इस क़दर हिमायत करके
दानिश्वरों की जमात को
शर्मिंदा कर दिया उसने!
इश्क़ और इंकलाब के
एक अज़ीम शायर के
ख़्याल इतने बदतर होंगे
मालूम नहीं था हमें!
Shekhar Chandra Mitra
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