पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
खुद को तेरी राह पर , मैं निसार दूं
हो जाऊँ तेरा शागिर्द , अपनी पनाह में रख
तेरी इबादत को अपना, मकसद बना लूं
जागूँ तो तेरा नाम , लब पर हो मेरे
ख़्वाबों में तुझको, मैं अपना हमसफ़र बना लूं
तेरे करम का साया , हो मुझ पर मेरे मालिक
तुझको मैं अपनी जिन्दगी का इमां बना लूं
पाकर तुझे मैं खुद को , रोशन कर लूं
अपनी मंजिल का तुझे , मैं निशाँ बना लूं
रोशन हो जाए वजूद मेरा, तेरे करम से
अपनी कलम को , मैं तेरी इबादत कर लूं
तेरी इबादत में , ए मेरे मालिक
खुद को तेरा शागिर्द बना लूं
तेरे करम के चर्चे , हो रहे गली – गली
खुद को तुझ पर , मैं निसार दूं
पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं
खुद को तेरी राह पर , मैं निसार दूं
हो जाऊँ तेरा शागिर्द , अपनी पनाह में रख
तेरी इबादत को अपना, मकसद बना लूं