पांच सालो के बाद ,तुम यहाँ नजर आये –आर के रस्तोगी
(अखियों के झरोखे से ,जब देखा तुझे सांवरे | तुम मुझे नजर आये ,बड़ी दूर नजर आये |गीत पर आधारित पैरोडी )
खोले जो द्वार घर के आज |
मुझे नेता नजर आये आज ||
कुछ पांच साल के बाद नजर आये |
कुछ दस साल के बाद नजर आये ||
पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये |
चलता रहा सिलसिला झूठे वादों का |
कभी बिजली को फ्री कहने को आये ||
कभी पानी को फ्री कहने को आये |
पर ये कभी कोई चीज फ्री न कर पाये ||
बस यूही हम सबको बहकाते आये |
सबको बहकाना है नेताओ का काज ||
खोले जो द्वार घर के आज |
मुझे नेता नजर आये आज ||
कुछ पांच साल के बादनजर आये |
कुछ दस साल के बाद नजर आये ||
पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये |
कब तक बैठी रहेगी जनता झूठी आस पर |
कब तक रहेगी जनता तुम्हारे विश्वास पर ||
ये अपना ही विश्वास खो पाये |
ये अपने को ही धोखा दे पाये ||
ये हमेशा गिडगिडाते आये |
इन्होने खोया है विश्वास आज ||
खोले जो द्वार घर के आज |
मुझे नेता नजर आये आज ||
कुछ पांच साल के बाद नजर आये |
कुछ दस साल के बाद नजर आये ||
पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये |
खोले जो द्वार घर के मैंने आज |
मुझे नेता नजर आये आज ||
कुछ पांच साल के बाद नजर आये |
कुछ दस साल के बाद नजर आये ||
पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये |
चलता रहा ये सिलसिला झूठे आडम्बरो का |
कभी नेता कुर्ता जाकेट पहन कर आये ||
कभी ये नेता चंदा उगाहने आये |
कभी ये नेता जनता को लुभाने आये ||
नेताओ ने गिरगिट की तरह रंग बदले है आज |
खोले जो द्वार घर के मैंने आज
मुझे नेता नजर आये आज
कुछ पांच साल के बाद नजर आये
कुछ दस साल के बाद नजर आये
पर उन्हें वोटर नजर नहीं आये
आर के रस्तोगी
मो 9971006425