पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे – संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे
उसने मुंडेर फाँदी हो जैसे
छत पे दो पल मिलन जुदाई में
धूप में बूँदा-बाँदी हो जैसे
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे
उसने मुंडेर फाँदी हो जैसे
छत पे दो पल मिलन जुदाई में
धूप में बूँदा-बाँदी हो जैसे
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur