पाँच दोहे
द्वेषो के दर्शन हुए, सब पिडायें प्रसन्न l
संतों के दर्शन हुए, जीवन भया प्रसन्न ll
हुश्न के जो दरस हुए, इश्क होवे प्रसन्न l
इश्क के जो दरस हुए, अश्क होवे प्रसन्न ll
निशा के जो दरस हुए, स्वप्न होये प्रसन्न l
उषा के जो दरस हुए, जाग होवे प्रसन्न ll
प्यास के जो दरस हुए, तलाश होत प्रसन्न l
खोज के जो दरस हुए, भविष्य होत प्रसन्न ll
मुर्खता के दरस हुए, दुःख होवे प्रसन्न l
सहज बुद्धी दरस हुए, जीत होवे प्रसन्न ll
अरविन्द व्यास “प्यास”