*पाँच दोहे (कृपा करें जगदीश)*
पाँच दोहे (कृपा करें जगदीश)
■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
भले मिले ऊँचा महल, ऊँचा पद-सम्मान
देव! मगर देना नहीं, थोड़ा-भी अभिमान
(2)
कभी पड़ी गर्मी विकट, कभी विकट बरसात
कभी पड़ा जाड़ा-महा, ऊँच-नीच दिन-रात
(3)
भरी मलिनता दिख रही,निश्छल कब मुस्कान
तुझे मनुज कैसे मिले, ईश्वर का वरदान
(4)
मिला कभी अपयश कभी,पाया यश-विस्तार
जब उसने जो दे दिया, उसको सौ आभार
(5)
चाहे जो वरदान दें, कृपा करें जगदीश
तुझमें सौ अवगुण भरे, नत ही रहना शीश
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो.9997615451