पहाड़
मूर्खता की दौड़ मेें
जब तुम नंगे थे
कपड़ा पहनना भी
तुम्हें नहीं आता था,
हम उससे कई युग
पहले ही से लिबास
पहने हुए थे;
अब अक्ल की दौड़ में
तुम लिबास पहन कर
खुद को इंसान कहलानेवाले
उतार कर हमारे लिबास
हमें नंगा कर हमारे
अस्तित्व को मिटाने की
कोशिश कर रहे हो ?