पहले मोहब्बत दिखाता है , छोड़ देता है
पहले मोहब्बत दिखाता है , छोड़ देता है
वो मुझे गले से लगाता है , छोड़ देता है
आखिर कब तक बर्दाश्त करें इन दूरीयों को
वो मुझे दीए कि तरह जलाता है , छोड़ देता है
इतनी मोहब्बत भी तो जीना हराम कर देती है
वो जलता हुआ चिराग बुझाता है , छोड़ देता है
गर तारीफ हो तो मुकम्मल हो अच्छी लगती है
वो तो आधी तस्वीर बनाता है , छोड़ देता है
भले बुलंदीयां नसीब हो बेहतर है जमीन पर रहना
वर्ना बवंडर तो हवा में उडा़ता है , छोड़ देता है
ये दुसरी ही मुलाकात है जरा बच के तनहा
सुना है ये शख्स रिश्ते बनाता है , छोड़ देता है