पहले जैसा चौका
चौके में पहले सी पाटी,
चलो बिछायें।
बहुत हुआ अब अलग बैठकर,
अपना खाना।
सम्बंधों के मीठेपन का,
मिटते जाना।
वही पुरानापन आपस का,
वापस लायें।
चौके में पहले सी पाटी,
चलो बिछायें।
माना सबकी अपनी-अपनी,
है मजबूरी।
फिर भी कुछ पल मिल कर बैठें,
कम हो दूरी।
ताई-चाची फिर से मिलकर,
छौंक लगायें।
चौके में पहली सी पाटी,
चलो बिछायें।
पहले मिल-जुलकर भगवन को,
भोग लगाना।
फिर अम्मा का,
सबके भोजन-थाल सजाना।
दद्दू देरी से खाने पर,
डाँट पिलाएं।
चौके में पहले सी पाटी,
चलो बिछायें।
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– राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद (उ० प्र०)
मो० 8941912642