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20 Oct 2024 · 1 min read

पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,

पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
जो प्रायः घर-परिवार व रिश्तेदारों तक ही रहते थे!
आज की औरतें भी ढेरों ख़्वाब सजाती हैं…
ठुकराकर रिश्ते-नाते आसमां में परवाज़ भर जाती हैं!

…. अजित कर्ण ✍️

1 Like · 32 Views
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