पहले आप
हमारी मुश्किलें आधी तो यूँ ही ख़त्म हो जायें
अगर हम लोग ‘पहलेआप’ की तहज़ीब अपनायें
सलीक़े से करें हर बात अपने हर मुख़ातब से
किसी की भावनाओं को कभी मत ठेस पहुंचायें
हमें जो भी मिला है सब ख़ुदा की ने’मतें हैं वो
कभी दौलत जो पा जायें तो हरगिज़ भी न इतरायें
पता है , आसमां छूना नहीं है खेल बच्चों का
मगर फिर भी कई “बच्चे ” उसे छूने को ललचायें
…शिवकुमार बिलगरामी